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दूर बहुत दूर / केतन यादव

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आदमी चला जाता है
छोड़कर खूँटी पर कमीज़
कमीज़ में छोड़कर गंध
गंध में छोड़कर अपनी साँस

आदमी चला जाता है
छोड़कर कागज़ पर कविता
कविता में जीवन का गीत
गीत में आत्मा का छंद

चला जाता है आदमी इतनी दूर
कि दूरी धीरे-धीर
संज्ञा से विशेषण हो जाती
और पुन: धीरे-धीर
विशेषण से संज्ञा हो जाती

दूरी का अंदाजा शायद आदमी लगा पाता है
कमीज़ गंध साँस कागज कविता गीत छंद
सबसे दूर बहुत दूर
चला जाता है आदमी जब।