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दूर है किनारा गहरी नदी की धारा / रविन्द्र जैन
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दूर है किनारा
गहरी नदी की धारा
टूटी तेरी नइया
माझी
खेते जाओ रे
हे हे नइया
खेते जाओ रे
दूर है किनारा
हो
आँधी कभी तूफ़ाँ कभी
कभी मझधार
ओ माझी रे
हे हे माझी रे
आँधी कभी तूफ़ाँ कभी
कभी मझधार
जीत है उसी की जिसने
मानी नहीं हार
माझी
खेते जाओ रे
दूर है किनारा
हो
डूबते हुये को बहुत है
तिनके का सहारा
ओ माझी रे
हे हे माझी रे
डूबते हुये को बहुत है
तिनके का सहारा
मन जहाँ मान ले माझी
ए हे मन जहाँ मान ले माझी
वहीं है किनारा
माझी
खेते जाओ रे
दूर है किनारा
हो
हे हे नइया
खेते जाओ रे