दूसरे दर्ज़े का नागरिक / सुशान्त सुप्रिय
उस आग की झीलों वाले प्रदेश में
वह दूसरे दर्ज़े का नागरिक था
क्योंकि वह किसी ऐसे पिछड़े इलाक़े से
आ कर वहाँ बसा था
जहाँ आग की झीलें नहीं थीं
क्योंकि वह 'सन-आफ़-द-सोएल'
नहीं माना गया था
क्योंकि उसकी नाक थोड़ी चपटी
रंग थोड़ा गहरा
और बोली थोड़ी अलग थी
क्योंकि ऐसे 'क्योंकियों' की
एक लम्बी क़तार मौजूद थी
आग की झीलों वाले प्रदेश में चलती
काली आँधियों को नज़रंदाज़ कर
उसने वहाँ की भाषा सीखी
वहाँ के तौर-तरीक़े अपनाए
वह वहाँ जवानी में आया था
और बुढ़ापे तक रहा
इस बीच कई बार
उसने चीख़-चीख़ कर
सबको बता देना चाहा
कि उसे वहाँ की मिट्टी से प्यार हो गया है
कि उसे वहाँ की धूप-छाँह भाने लगी है
कि वह 'वहीं का' हो कर रहना चाहता हूँ
पर हर बार उसकी आवाज़
बहरों की बस्ती में भटकती चीत्कार बन जाती
वहाँ की संविधान की किताब
और का़नून की पुस्तकों में
सब को समान अधिकार देने की बात
सुनहरे अक्षरों में दर्ज थी
वहाँ के विश्वविद्यालयों में
'मनुष्य के मौलिक अधिकार' विषय पर
गोष्ठियाँ और सेमिनार आयोजित किए जाते थे
क्योंकि आग की झीलों वाला प्रदेश
बड़ा समृद्ध था
जहाँ सबको समान अवसर देने की बातें
अक्सर कही-सुनी जाती थीं
इसलिए उसने सोचा कि वह भी
आकाश जितना फैले
समुद्र भर गहराए
फेनिल पहाड़ी नदी-सा बह निकले
पर जब उसने ऐसा करना चाहा
तो उसे हाशिए पर ढकेल दिया गया
वह अपनी परछाईं जितना भी
न फैल सका
वह अंगुल भर भी
न गहरा सका
वह आँसू भर भी
न बह सका
उसकी पीठ पर
ज़ख़्मों के जंगल उग आए
जहाँ उसे मिलीं
झुलसी तितलियाँ
तड़पते वसन्त
मैली धूप
कटा-छँटा आकाश
और निर्वासित स्वप्न
दरअसल आग की झीलों वाले उस प्रदेश में
सर्पों के सौदागर रहते थे
जिनकी आँखों में
उसे बार-बार पढ़ने को मिला
कि वह यहाँ केवल
दूसरे दर्ज़े का नागरिक है
कि उसे लौट जाना है
यहाँ से एक दिन ख़ाली हाथ
कि उसके हिस्से की धरती
उसके हिस्से का आकाश
उसके हिस्से की धूप
उसके हिस्से की हवा
उसे यहाँ नहीं मिलेगी
इस दौरान सैकड़ों बार वह
अपने ही नपुंसक क्रोध की ज्वाला में
सुलगा
जला
और बुझ गया
रोना तो इस बात का है
कि जहाँ वह उगा था
जिस जगह वह अपने अस्तित्व का एक अंश
पीछे छोड़ आया था
जहाँ उसने सोचा था कि
उसकी जड़ें अब भी सुरक्षित होंगी
जब वह बुढ़ापे में वहाँ लौटा
तो वहाँ भी उसे
दूसरे दर्ज़े का नागरिक माना गया
क्योंकि उसने अपनी उम्र का सबसे बड़ा हिस्सा
आग की झीलों वाले प्रदेश को
दे दिया था...