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देखना / जया जादवानी
Kavita Kosh से
तुम्हें देखना
देखना है बार-बार देखी हुई प्रकृति को
तुम्हें पाना
पा लेना है बार-बार पाए हुए को
एक दूसरे ही रंग में उत्तप्त।