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देखा नहीं जाता तो! / तरुण

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मित्र, अब ओर अधिक देखा नहीं जाता
-तो क्या करूँ, तुम्हीं बताओ।

आँखों की पलकों को सीओ-
शुद्ध खादी की पट्टी आँखों पर बाँध कर
गांधारी की तरह जीओ।

युधिष्ठिर की तरह
हिमालय की बर्फ़ों में आ गलो।

बेलछी के कैदियों की तरह
आँखों में जलता सूआ भोंकवा लो।

संविधान के जितने हैं सफ़े-
उठक-बैठक करो उतनी ही दफे़।

जब आँधी आवे तब आकाश में थूको;
अँधेरी गली के बीच गोल कड़ी पूँछ वाले हड़के काले कुत्ते की तरह
आधी रात में भूँको।

माकू़ल इलाज करवाओ-ब्रेन में करैंट लगवाओ-
या काले नाग से अपने को डसवाओ।

राजघाट या कसौली घूम आओ,
शायद अपनी अमर-अनंत आत्म-पीड़ा से थोड़ी-बहुत राहत पाओ!

1983