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देश में / अनिरुद्ध प्रसाद विमल
Kavita Kosh से
यह मेरा देश है
हिमालय से लेकर
कन्याकुमारी तक फैला हुआ है
मुझे याद नहीं
‘यह सोने की चिड़िया है’
किसने कहा है।
हाँ इतना याद है
कि इस देश की मिट्टी में
स्वार्थ इतना नीचे गड़ा है
कि हर प्रताप के पीछे
मानसिंह
हिमालय की तरह खड़ा है।