भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
देश लेेॅ कहिया लड़भो भैया / कैलाश झा ‘किंकर’
Kavita Kosh से
बाँटै खातिर भैयारी मेॅ,
झगड़ै छय बाड़ी-झाड़ी मेॅ,
शक्ति-प्रदर्शन करोॅ यहाँ नै
सीमा पर जा हो रखवैया ।।
हिन्दू बनलय, मुस्लिम बनलय,
सिक्खो और ईसाई बनलय,
हिन्दुस्तानी नै बनभो तेॅ
डुबतै सौंसे देश के नैया ।।
हरिजन और सवर्ण के नारा,
फोरवार्ड-बेकवार्ड के नारा,
ऊँचोॅ अप्पन मोंछ करै लेॅ
ताल ठोक केॅ ता-ता थैया ।।
कांग्रेस बनलय राजद बनलय,
जोइर-तोइर केॅ राजग बनलय,
आतंकी संसद तक ऐलोॅ
राजनीति केॅ नाच-नचैया ।।
जे सीमा पर जान लड़ैने,
दुश्मन पर छै आँख गड़ैने,
ऊ सेना पूछै छौं सबसे
देश लेॅ कहिया लड़भो भैया ।।