देसूंटो-8 / नीरज दइया
वैराग मांय
मिनख जीवण सूं
अेकर धाप जावै
पण हुवै कोई
अजीब-सो राग
देस री धरती-धरती
भर्यो जद बाथां मांय
देस म्हनै
जाणै उतरग्यो
बैराग समूळो
संभाळणी पड़ै
किणी-न-किणी ठौड़
सगळां नै आपरी धरती
आपोआप री धरती
आभो नीं देवै
सदीव देवै ठौड़- धरती !
थारै नीं रैयां
लारै जिकों कीं रैयो
अठै अदीठ म्हारै साथै
कांई उण नैं म्हैं कैवूं-
आतमा
आतमा खोल सकै
बिना चाबी रै
केई-केई ताळा
करै लारो थारो
थारी ओळुंवां रो
है पूरो रो पूरो
अेक टोळो
है अठै कोई
अदीठ देस-
ओळुंवां रो
आतमावां रो
दीठ री हद सूं बारै
रैवै अदीठ सबद
पूगै बठै-
ओळूं-डाक
घिर-घिर आवै अठै-
ओळूं-डाक
बो अणसैधो मारग
फगत डाक सकै ओळूं
नींतर गयां पछै
उण मारग
जाणै पग कट जावै
पाछो कोई नीं आवै
म्हैं नीं जाणूं-
कांईं लाधैला थनै बठै
थारो स्सौ कीं तो है तो अठै
सांवरा !
थारो अठै
म्हैं कीं नीं रोक्यो
पण थूं गयो छोड़-
थारो रंग रूप अठै
थारा सगळा सबद-अरथ अठै
सगळा सुपना अठै
सगळी इच्छावां अठै
फगत लेग्यो थूं-
सुख म्हारो
अर म्हनै
उखणायग्यो थूं-
दुख थारो !
म्हानै लागै
म्हैं जिण पांख्यां आयो
बै पांख्यां ई खुसगी
अर म्हारो बो आभो
उडग्यो ऊंचो-ऊंचो घाणो ऊंचो
लखावै अबै म्हनै
जाणै आभो दियो है-
कोई देसूंटो !
आभो जाणै
म्हनै दियो है-
देसूंटो
देस मांय
कोनी बा रोसणी
कै आगूंच दीसै
आवण नैं संभियोड़ो-
अंधारो
कोई अंधारो
आय परो हेठै
बसग्यो मांय म्हारै
देस बगत-बस्तै
तीणा करै अंधारो
धक्का देवै आंधी
अर ठाह नीं
कद-कठै लारै
टिर जावै सुख-सुपना
थारा सुपना
म्हैं राखूं
काठै जापतैसर
बगत-बस्तै रा हुवै
लांबां-लांबां हाथ
पण अंधारै जितरा नीं
आवै आंधी
बण परी आंधी
दौड़ती-भागती
बिना आंख्यां
कुण जाणै
बा पूगैला कठै
तोड़ती-भांगती सुपना
थारै नीं रैयां-
म्हारै मांयलो पाणी
थोड़ो’क सूखग्यो
म्हारी धरती
हुयगी थोड़ी’क खांडी
आभै री उडाण
हुयगी कीं हद सूं बारै
मांय म्हारै-
करण लागी हबड़का
मांयली अगन
अर हुयग्यो है-
च्यारूंमेर ई अमझो
अखंड अमूझो
मनगत बणी
कै करूं म्है ईज
करतब कोई
काढूं रीस
अर लेय लेवूं म्हैं ईज
थारै लारै-लारै सीख
कुण अक्कल काढी
पण अैन बगत माथै
कुण पाछी राखी
म्हैं म्हारी जात सूं
इंयां नीं फटूंला
थूं लेयग्यो-
सुख म्हारो
फेर म्हारै दुख मांय
थूं कठैई-
क्यूं अर क्यूं रैयग्यो ?
म्हारै दुख सूं
करूं म्हैं थन्नै
साव मुगत
थारै साथै-साथै
नीं चालणो हो-
कोई सुख
भळै क्यूं लेयग्यो थूं
सुख म्हारो !
सांवरा !
म्है राखूंला
घणी जापतै सूं
थारी सूंप्योड़ी अगन
पण जद पूगूंला म्हैं
अगन मांय
बा मांगैला
थारै दियोड़ी अगन
तद सूंपणी ई पड़ैला-
म्हनै म्हारी अगन
अगन सूंप्यां
कीं नीं रैवै खन्नै
सुपना अर ओळूं ई
हुय जावै पछै-
पांखबायरा