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देह / देवी प्रसाद मिश्र
Kavita Kosh से
देह प्रेम के काम आती है।
वह यातना देने और सहने के काम आती है।
पीटने में जला देने में
आत्मा को तबाह करने के लिये कई बार राज्य और धर्म
देह को अधीन बनाते हैं
बाज़ार भी करता है यह काम
वह देह को इतना सजावटी बना देता है कि
उसे सामान बना देता है
बहुत दुःख की तुलना में
बहुत सुख से ख़त्म होती है आत्मा