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देह कहीं नहीं / चंद्र रेखा ढडवाल
Kavita Kosh से
देह पर इतराती
देह पर लज्जाती
देह निभाती
औरतों की मन-पींगों के
श्रम में
विश्राम में
कहीं नहीं
होती देह
.