भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दैवी अभिरक्षा / रेज़ा मोहम्मदी / श्रीविलास सिंह
Kavita Kosh से
मैं हूँ ऐसी बारिश जिसे चाहता नहीं कोई भी ।
गलियाँ तक समझ पाती नहीं मुझको ।
मैं हूँ पूर्ण भूत काल ।
और मेरे भीतर गहराई में दफ़न हैं
अनाम अनजान यायावरों के प्रेत,
बदनाम नाविकों और तमाम मृतकों के।
मैं हूँ ऐसा शब्द जिससे डरते हैं नन्हें बच्चे
और भूल चुके हैं जिसे कब के कवि
मैं हूँ बामियान में बुद्ध का चेहरा,
चुरा लिया गया, बेच दिया गया अपनी मातृभूमि से
और मैं हूँ एक लाश, गिरी हुई
स्टॉकवेल में, उपेक्षित कचरे वाले द्वारा ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह