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दो आंखें / सुरेश विमल
Kavita Kosh से
देखें सुंदर बाग़ बगीचे
ताल तलैया दो आंखें
गांव, शहर, घर और आदमी
देखें भैया दो आंखें
तैरें नीले आसमान में
धुएँ क्षितिज को दो आंखें
अपनी नजरों के तीरों से
छोड़े किसको दो आंखें।
रंग बिरंगे पंछी देखें
मेला देखें दो आंखें
पत्थर देखें पर्वत देखें
रस्ता देखें दो आंखें।
चंदा और सितारे देखें
बादल देखें दो आंखें
चिड़ियाघर में तरह-तरह के
प्राणी देखें दो आंखें।
पुस्तक पढ़े, सिनेमा देखें
सर्कस देखें दो आंखें
रेलें देखें मोटर देखें
नावे देखें दो आंखें।
सजी-धजी दुकानें देखें
जलसे देखें दो आंखें
रखें पनिहारिन के सिर पर
कलसे देखें दो आंखें।