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दो रोग, दो लोग / ममता व्यास

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"मैं कुछ भी भूल नहीं पाता यार
मुझे याद रखने की बीमारी है"
(वह उदास था)

"मुझे तो कुछ भी याद ही नहीं रहता यार
मुझे भूल जाने का रोग है"
(वो भी उदास हो गयी)

अलग होने के बरसों बाद वो आज भी यह सोचकर खुश था कि
भूलने की बीमारी के चलते वो "सब कुछ" भूल कर फिर से एक बार
उसके पास चली आएगी।

अलग होने के बरसों बाद आज भी वो ये सोचकर खुश थी कि
"सब कुछ" याद रखने के रोग के चलते उसने
आज भी मुझे याद रखा होगा...