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दो शेर / मदन डागा
Kavita Kosh से
मैं मुसाफ़िर की तरह तेरे दिल में आया था,
हमारी राह तो सहरा की तरफ़ जाती थी!
तेरी यादों के बादलों की वजह ही हमने,
ज़िन्दगी धूप के फुटपाथ पै गुजारी थी!