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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-42 / दिनेश बाबा
Kavita Kosh से
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प्रेम-भाव भक्ति साथें, अतुल ज्ञान वैराग
सावधान, मोही करी, डँसै काम के नाग
330
कोमल मन के आदमी, ही मुकियैलो जाय
बैगन तेलोॅ में पकै, आ झरकैलों जाय
331
जें राखै छै आसथा, ईश्वर पर विश्वास
निश्चित जानों एक दिन, पुरतै हुनकर आस
332
मनसा, वाचा, कर्मना, हुए आचरन सुद्ध
त्याग करै सर्वश्व के, तबेॅ होय छै बुद्ध
333
महासती विहुला छिकै, अंग देश रो रत्न
मृत्यु तक हारी गेलै, करकै हौ परयत्न
334
सावित्राी सें छै जुड़ल, नारी के उत्थान
छीनी केॅ जंे काल से लै आनलकै जान
335
सिद्ध करलकै सावित्राीं, पतिव्रता के आन
फेरलकै जमराज नें, पति के लेलो जान
336
परजापालक राम सें, सिया त्याग के भूल
कष्ट सहलखिन जानकी, राम हृदय में शूल