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दोहे-1 / दिनेश बाबा
Kavita Kosh से
मामू के अनुगामिनी, मतरकि छै कंजूस।
काम करावे लेॅ मामी टॉफी दै छै घूस।।
मामू भोंदूमल छिकै, मामी बड़ी चलाक।
खूब सिधंगड़ मामू पर, राखै अपनो धाक।।
मामी जी संजमित छै, मामी डिकंट्रोल।
मामा नै बोलै बहुत, मामी फुट्टा ढोल।।
खाय पियै में मामू जी दिल के-बड़ी उदार।
घी पीयै में आगुए, चाहे मिलै उधार।
रे बेटा मन सें पढ़ें छिकै बड़ोॅ के सीख।
बिन पढ़ला केॅ नै मिलै, छै दुनियां में भीख।।