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द्वार पर मेरे / रोहित रूसिया
Kavita Kosh से
द्वार पर मेरे
रखा हुआ है
दीप तुम्हारे नाम का
कच्चे मन की
पगडण्डी पर
यादों की कुछ
धूल उड़ी है
रिश्तों का
एक गीत है जीवन
प्रीत उसी की
एक कड़ी है
सोंधी-सी सुबह से रिश्ता
सिन्दूरी-सी शाम का
रखीं हाशिये पर
कितनी ही
चाही-अनचाही
सौगातें
पर पन्नों पर
लिखीं हुयी बस
धूप भरे दिन
बोझिल रातें
महँगे रिश्तों की मंडी में
बस जीवन बिन दाम का
द्वार पर मेरे
रखा हुआ है
दीप तुम्हारे नाम का