धरती डोलै छै भूकंप हो / कस्तूरी झा 'कोकिल'
छटपटाय केॅ दिन गुजरै छै, जागी-जागी रात जी।
कखनी घटा उमड़तै आरोॅ बे मौसम बरसात जी।
हड़हड़-हड़हड़ प्राण करै छै
जखनी धरती डोलै छै।
दौड़ी केॅ भागै छै घर सेॅ
हड़बड़ाय केॅ बोलै छै।
घोरॅ धड़ाधड़ गिरेॅ लाग लै बहुत बड़ा आघात जी।
छटपटाय के दिन गुजरै छै, जागी-जागी रात जी।
नेपाल में बड़ी तबाही
अनगिन आदमी मरलॅ छै।
पत्थर दीवाल गाछी कै नीचें
कत्ते आदमी दबलॅ छै।
फाटलै सड़क, दीवाल दरकलै गिरलै अनगिन छात जी।
छटपटाय के दिन गुजरै छै, जागी-जागी रात जी।
यूपी, बिहार, झारखंड एम.पी.
रही-रही केॅ काँपें छै।
दिल्ली, असम, पंजाब बेचारा
रही-रही केॅ हाँफे छै।
अफरा-तफरी मचलै सगरोॅ बड़ी दुखॅ केॅ बात जी।
छटपटाय के दिन गुजरैछै, जागी-जागी रात जी।
भारत लागलेॅ छै सेवा में
ई तेॅ बढ़ियाँ काम छै।
आपद-विपत में जान लगाना
सबसे बड़ेॅ ईनाम छै।
पी.एम., सी.एम. सब तत्पर छै रुकतै झंझाबात जी।
छटपटाय के दिन गुजरै छै, जागी-जागी रात जी।