भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धरा-व्योम / अज्ञेय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अंकुरित धरा से क्षमा
व्योम से झरी रुपहली करुणा
सरि, सागर, सोते-निर्झर-सा
उमड़े जीवन :
कहीं नहीं है मरना ।

नारा, जापान, 6 सितम्बर, 1957