धुँध, कुहासों जैसी बातें / पंखुरी सिन्हा
पश्मिने के शाल पर कढा़ई की नहीं
पश्मिने के असल होने के अन्वेषण की बातें
बातें अनुसन्धान की
उस गर्माहट में होने की बातें
खालिस कश्मीरी उच्चारण में
पश्मिने की बातें
कश्मीरी आवाज़ में ढेरों-ढेर पश्मिने की बातें
जैसे पश्मिने की खेती
जैसे भेड़ पालना
इन सब गरम गुनगुने ख़यालों से दूर
यान्त्रिक कुहासों की बातें
जैसे क़दम-क़दम पर रुकना
लोकल ट्रेन का
जैसे अलग-अलग लोकल ट्रेनों में सफ़र
अलग-अलग शहरों में
बस निरंतरता सफ़र की
और पहुँचना कहीं नहीं
उलझे रहना
ढेरों दफ़्तरी फ़ाइलों में
ढेरों दफ़्तरी फ़ाइलें
निपटाने को
रिपोर्ट, चिट्ठियाँ
और बातें घर,पत्नी, बच्चों कीं
मसरूफ़ियत की
और आना चाय-कॉफ़ी पर
सारे दोस्तों का
पकौड़ों का कुरमुरापन
तलते बेसन की ख़ुशबू
तलछट कड़ाही की
बचा तेल
पत्नी की सुघड़ता
महीने के खर्च का हिसाब
धनिये, पुदीने, गुड़ और टमाटर की चटनी
यहाँ तक कि इमली की भी
चटखारेदार बातें
और बीच में
दफ़्तरी फ़ोन का आहिस्ता बजना
और सवाल ढेरों ख़ुफ़िया
पेशानी पे बल
माथे की लकीरें
वो तमाम बातें जिनसे बनी होती हैं
लोगों की ज़िंदगियाँ
ज़िन्दगी की तमाम खूबसूरतियाँ
और बातें ईमान कीं
ढेरों-ढेर ईमान कीं
तराज़ू में तोलने की
लोगों के ईमान को
रूह की, ज़मीर की
पुरुषत्व की, वर्चस्व की
उन तमाम एहसासों की
जो दफ़्तर से घर
और घर से दफ़्तर
आते-जाते हासिल होते हैं।