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धूप खिली है / मुदित श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
कितने दिनों बाद
आज फ़ूलों को रंग मिलें हैं,
तितली को नए रास्ते,
नदियों को चमक,
बादलों को उड़ान
आसमान को चित्र
पंछियों को तिनके,
कितने दिनों बाद,
हवा आज न तेज़ है, न मन्द
छत के दरवाजे खोले गए हैं
टहलना हुआ है,
ऊँघना भी,
कितने दिनों बाद
आज फुरसत मिली है
कितने दिनों बाद
आज धूप खिली है!