भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धूप लिक्खूँ या कहकशाँ लिक्खूँ / ज्ञान प्रकाश विवेक

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धूप लिक्खूँ या कहकशाँ लिक्खूँ
तेरे हातों पे आसमाँ लिक्खूँ

तेरी आँखें अगर इजाज़त दें
उनमें सपनों की ठुमरियाँ लिक्खूँ

अपनी ख़ुशियों के कोरे काग़ज़ पर
तेरे अश्कों का तरजुमाँ लिक्खूँ
  
रेत पर चाँद पर कि लहरों पर
नाम तेरा कहाँ-कहाँ लिक्खूँ

रास्ता हूँ कि नक्श हैं लाखों
किस मुसाफ़िर की दास्ताँ लिक्खूँ

तुझको दे दूँ मिलन की उम्मीदें
अपने हिस्से में दूरियाँ लिक्खूँ