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धूल-श्री / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
सौंफिया हरी-हरी
डाल-डाल आज री भरी !
हज़ार लाख बेशुमार
हिल रहीं कतार पर कतार,
पा पवन दुलार-प्यार
सन-सनन उठी पुकार,
भर नया उभार
री उतर रही सरल युवा परी !
सौंफिया हरी-हरी
डाल-डाल आज री भरी !
मंद रंग लाल-लाल
व्योम की विशाल गाल पर गुलाल,
आज रस भरी डँगाल
है किये सिँगार,
देखभाल कर सँवार पत्र-जाल
री सुहावनी हरीत चूनरी !
सौंफिया हरी-हरी
डाल-डाल आज री भरी !