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धूल भी नहीं / पूर्णिमा वर्मन
Kavita Kosh से
डाल पर खिली हुई पंखुरी हूँ
नहीं पंखुरी तो नहीं
तितली
नहीं तितली भी नहीं
पंख
कि हाथ से मसलो तो बस रंग
और हाथ झाड़ो
तो धूल भी नहीं ।