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न नख़्खा़स बाजा़र है एक घर है / सूर्यपाल सिंह

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न नख़्खा़स बाजा़र है एक घर है।
न आकाष ही, प्यार है एक घर है।

बनेगा बसेरा नहीं आप ही यह,
जहाँ सांस रखवार है, एक घर है।

घरों से भगे जो उन्हें सब पता है,
कली है वहीं ख़ार है, एक घर है।

रखी ईंट सिर के तलेेे सो गया है,
भरी नींद में धार है, एक घर है।

उगाना नई पौध घर की सँजोकर,
सभी का समाहार है, एक घर है।