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नई पहचान / स्नेहमयी चौधरी
Kavita Kosh से
जीवन के खेल में हारकर
उसने ताश के खेल में जीतना सीख लिया
अंदर से पूरी तरह टूटकर
उसने कागज़ पर चित्र रचना सीख लिया
एक केन्द्र पर हुई पराजय
दूसरे को पर विजय बन गई
अपनों से बिलगने की प्रक्रिया में
दूसरों से जुड़ना उसकी नई पहचान बन गई।