विरोधों की रिमझिम बारिश
मन की ज़मीन तर करती है
क्रोध एक ट्रैक्टर की तरह
खड़खड़ाता हुआ
यहाँ से वहाँ दौड़ता है
उखाड़ता घास-फूस
उथलाता मिट्टी को
इस तरह बनती है
नए बीज़ों की जगह
यह अगली फ़सल की तैयारी है
विरोधों की रिमझिम बारिश
मन की ज़मीन तर करती है
क्रोध एक ट्रैक्टर की तरह
खड़खड़ाता हुआ
यहाँ से वहाँ दौड़ता है
उखाड़ता घास-फूस
उथलाता मिट्टी को
इस तरह बनती है
नए बीज़ों की जगह
यह अगली फ़सल की तैयारी है