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नटखट दरजी / शेरजंग गर्ग
Kavita Kosh से
दर्जी ने वह पैंट बनायी,
जिसकी जग में हुई हँसाई।
स्वयं पहनने वाला हँसता,
बार-बार पेटी से कसता।
शायद कुछ नटखट था दर्जी,
ख़ूब चलायी उसने मर्ज़ी।