नणद ते भाबी रल बैठीआं (2) / पंजाबी
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नणद ते भाबी रल बैठीआं, जीआ कीते सू कौल करार
जे घर जम्मेगा गीगड़ा<ref>बेटा</ref> नी, बीबा देवांगी फुलचिड़िआं<ref>बालों में गूधां जोनेवाला सोने का गहना</ref>
अध्धी अध्धी रात, पिछला ई पहर, भाबो ने गीगड़ा जी जम्मेआ
लै दे नी भाबो फुलचिड़िआं, अड़ीऐ पूरा होया नी करार
ना तेरे बाप घड़ाईआं नी बीबी, ना तेरे वडड़े वीर
फुल-चिड़िआं बादशाहां दे वेहड़े, बीबा साडे ना फुलचिड़िआं
तेवरां विच्चों तेवर चंगेरा, पीया सो मेरी नणदी नू दे
तेवर-बेवर घर रख्ख भाबो, मैं लैणीआं फुलचिड़िआं
गहणिआं विच्चों गहणा आरसी, वे पीया सो मेरी नणदी नू दे
आरसी-पारसी रख्ख छड्ड भाबो, नी मैं लैणीआं फुलचिड़िआं
मझ्झां दे विच्चों बूरी चंगेरी पीया, सो मेरी नणदी नू दे
कालीयां-बूरीयां घर रख्ख भाबो, मैं तां लैणीआं फुलचिड़िआं
रुस्सी रुस्सी नणदी ओह गयी वे पीया, लंग्ग गयी दरिया
दराणीआं-जेठाणीआं पुछण लग्गीआं, वधाई दा की मिलिया
अड़िओ वीर तां मेरा राजे दा नौकर, भैणो ! भैण रुथड़ी मनाई
थाल भरया सुच्चे मोतिआं नी भेणे, उप्पर फुलचिड़िआं
लै नी बीबी! दे असीसां अड़िऐ, पूरा ते होया ई करार
भाई-भतीजा मेरा जुग-जुग जीवे, मेरी भाबो दा अल्लड़ सुहाग