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नतीजे / हरीश बी० शर्मा
Kavita Kosh से
हर दिन के नतीजे
विश्वास को जलते
संशय को पलते
जनाजा सार्थकता का
संवेदनाओं की सिसकी
सूना दरबार
कसकते शब्द-सिमटता अखबार
घिसटते विचार-दो और दो चार
पाला बदलने के समाचार
इसके बाद उपसंहार
फिर
नए दिन का इंतजार।