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नदी / मुकेश मानस
Kavita Kosh से
ये नदी तो नहीं रुकेगी
अगर आप रुके रहे
तो बस चली जाएगी
ट्रेन छूट जाएगी
और आपकी नौकरी जाएगी
आप देखते रह जाएंगे
अगर आप नहीं रुके
तो आपकी जान जाएगी
या टूटेगी टांग
घर जाने की बजाए
आप अस्पताल जाएंगे
आपकी बीबी, आपके बच्चे
देखते रह जाएंगे
आइए दें एक दूजे का साथ
थाम लें हाथों में हाथ
और इस भागती नदी को पार करें
रचनाकाल:1997