नदी के दो कूल।
बह रहा जीवन नदी का —
कूल के प्रतिकूल।
नदी के दो कूल।
अंग-अंग जल का हिलता है
कूलों का अन्तर मिलता है।
एक ओर मरघट की ज्वाला —
एक ओर हैं फूल।
नदी के दो कूल।
जाने वाले पार बटोही,
आने वाले अश्वारोही।
जल की चपल तरंगों को—
लख, कर न बैठना भूल।
नदी के दो कूल।