नयनों में आँजो न अमा को / विमल राजस्थानी
बीती बातों का क्या रोना
जीवन भर बीती बातों के शव को क्या कंधों पर ढोना
बीती बातों का क्या रोना
तुमने ठीक किया, पर जग ने समझा तुमने गलत किया है
तुमने चखी सुधा, लेकिन, दुनिया चिल्लायी - ज़हर पिया है
दुनिया में रहना है तो दुनिया वालों की बात सही है
दुनिया से बाहर रहने पर समझौते का प्रश्न नहीं है
दुनिया में रहना है तो तुमको समझौता करना होगा
इंगित पर संसृति के तुमको जीना होगा, मरना होगा
चतुराई की बात न होगी जग में रह कर जग को खोना
बीती बातों का क्या रोना
गुजरे कल को भूलो-बिसरो, बीत गयी जो बीत गयी रे
आखिर तो तुम रो-रो हारे, हँस कर दुनिया जीत गयी रे
जिसको तुमने अपना माना, था साँसों का सरगम जाना
यह तो भूल तुम्हारी ही थी, क्यों न उसे तुमने पहचाना
बीत गयी जो बात गयी रे! काजल-काली रात गयी रे
रिक्त हथेली पर लो धर दी प्राची ने सौगात नयी रे
अरुणोदय के उर में झाँको, नयनों में आँजो न अमा को
जग के चरणों पर कंदुक-सा तुम तो हो बस एक खिलौना
बीती बातों का क्या रोना
जीवन भर बीती बातों के शव को क्या कंधों पर ढोना
बीती बातों का क्या रोना
-17.7.1973