भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नया नखशिख / रामनरेश त्रिपाठी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जिसके उरोज मिश्र देश के पिरामिड हों
ध्रुव की निशा-सी केश-राशि सिर पर हो।
ऊँट ऐसी गति हो, नितंब हों पहाड़ ऐसे
चीन की दीवार मेखला सी जिस पर हो॥
साहब के दिल में दिमाग में दिखाव में भी
हिंद की भलाई के ख्याल-सी कमर हो।
ऐसी नायिकाओं का निवास, भगवान करे
हिंदी के कबित्त-प्रेमियों के घर-घर हो॥