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नया नखशिख / रामनरेश त्रिपाठी
Kavita Kosh से
जिसके उरोज मिश्र देश के पिरामिड हों
ध्रुव की निशा-सी केश-राशि सिर पर हो।
ऊँट ऐसी गति हो, नितंब हों पहाड़ ऐसे
चीन की दीवार मेखला सी जिस पर हो॥
साहब के दिल में दिमाग में दिखाव में भी
हिंद की भलाई के ख्याल-सी कमर हो।
ऐसी नायिकाओं का निवास, भगवान करे
हिंदी के कबित्त-प्रेमियों के घर-घर हो॥