भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नरम ख़ामोशी / पुष्पिता
Kavita Kosh से
प्रेम
अनुभूतियों का अन्वेषक है
प्रेम
अपने जीवन में
रचा है — नया जीवन
खोजता है —
स्नेह-सृजन के नूतन स्रोत
प्रेमानुभूति का तरल-पथ
अभिव्यक्ति की नरम ख़ामोशी
अनुभूति का मौनानन्द
अनकहा —
पर भीतर-ही-भीतर
सब कुछ कहता हुआ
जिसे पहली बार सुनती है — आत्मा
और समझ पाती है —
प्रेम-सुख का अर्थ
जो
देह से उपजता है
देह से परे जाकर