भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नर्मदा वन्दना / यमुना प्रसाद चतुर्वेदी 'प्रीतम'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


आयौ हौं दौरि द्वार श्री नर्मदा तिहारे पै जु
तुम्हीं अब मेरे सब कारज सँभारौगी

भारी भार सीस पै अचानक ही पर्यौ आन
ताकौं निज कृपा कर, बर दै उतारौगी

'प्रीतम' सु कवि कामना की हौ जु कामधेनु
प्याइ पय तृप्ति कर जनम सुधारौगी

ए हो मातु मेखलजा, रविजा सपूत हेतु
सेतु बाँधि शीघ्र, भव सिन्धु सों उबारौगी