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नशीला शब्द / प्रेरणा सारवान
Kavita Kosh से
कितना नशीला है
वो एक छोटा - सा शब्द
जिसकी अनुभूति से ही
निष्प्राण पड़ने लगते हैं विचार
कोई रंग है न रूप
न गंध है, न सुगंध
नहीं है उसके अस्तित्व को
जरूरत किसी
बोतल या गिलास की
दुखी होकर जब
मैं रोते - रोते
सिरहाने पर रखती हूँ सिर
सीपनुमा डिब्बी में
पलकों के ढक्कन तले
चुपके से आकर
बन्द हो जाता है
वो नशीला शब्द नींद।