भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ना भूखू रै ना तीसू क्वी / संदीप रावत
Kavita Kosh से
ना भूखू रौ , ना तीसू क्वी,ना नांगू ना रूंदो रुफड़ाणू क्वी
मेरी जन्मभूमि हे भारत माता,गौ-गंगा माता ईं धरती मा |
खिलदी रयां चौछोड़ हैर्याली ,बयार चल्यां सदानी उमैली
खिलदा रयां सदा फूल भला, दुन्या ह्वा सब्यूं की रुमैली ,
दैणा रयां खोळी का गणेशा,दैणा रयां मोरी का नारैणा ss.
ना भूखू रौ ना तीसू क्वी...।
ना गुरू रूठ्यां ,ना द्यो- द्यवता,सब्यूं तैं मिल्यां बाटा भला-भला
किरपा सदानि पितरौं की रयां ,जौ-जस आशीष सब्यूं मिल्यां
दैणा रयां सुरिज -चन्दरा , दैणा रयां पवन द्यवता ss
ना भूखू रौ ,ना तीसू क्वी ,ना नांगू ,ना रूंदो रुफड़ाणू क्वी
मेरी जन्मभूमि हे भारत माता ,गौ-गंगा माता ईं धरती मा।