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नाचो, कूदो-गाओ / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
झोलक-झोलक, झम्मा-झम्मा,
उइ अम्मा, उइ अम्मा।
तोता-मैना नाच रहे हैं,
छत पर छम्मा-छम्मा।
नाच देखकर कोयल दीदी,
दौड़ी-दौड़ी आई।
हाथ पकड़ कर कौए का भी,
खींच-खींच कर लाई।
फिर दोनों ही लगे नाचने,
धुम्मा-धुम्मा-धुम्मा।
शोर हुआ छत पर तो सारे,
पंछी दौड़े आए।
ढोल-मंजीरा तबला-टिमकी,
बाँध गले में लाए।
खूब बजा संगीत नाच पर,
ढमर-ढमर, ढम ढम्मा।
कुत्ते-बिल्ली गाय-बैल भी,
बीच सड़क पर नाचे।
खुशियों वाले पर्चे लेकर,
सब घर-घर में बांटे।
पर्चे पढ़कर नाचे दादा,
दादी बापू अम्मा।
पर्चों में यह लिखा हुआ था,
खुशियाँ रोज मनाओ।
छोड़ो दुःख का रोना-धोना,
नाचो कूदो गाओ।
धूम मची तो लगे नाचने,
सोनू मोनू पम्मा।