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नाटक कैसे-कैसे / प्रकाश मनु
Kavita Kosh से
उसने उस पर तीर चलाया,
बोले-है चुनाव का खेल!
दुश्मन को भी गले लगाया,
बोले-है चुनाव का खेल!
भाषण देकर मंच कँपाया,
बोले-है चुनाव का खेल!
लगा शेर बब्बर है आया,
बोले-है चुनाव का खेल!
बीत जाएँगे ये दिन भी तब,
हो जाएँगे पहले जैसे,
पर क्या भूलेंगे हम नाटक
करते ये कैसे-कैसे?