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नाना-नानी / जीत नराइन

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दिन में हम काम करी रात के देखी सपना
आजा के सुरत लागे थोड़ा-थोड़ा अपना
हमरे जहजवा के नाम ना है लाला रुखवा
देशवा के नाम भइल नेदलैंड बबुआ
के एल एम से उड़ली हम छोड़ली सरनमवा
याद तोर जब आइल खोज चरली इतिहसवा
एकर कथा के रस ना है पमचामृतवा
कथवा के कसक कससके कसलेवा मोर चितवा
काहे उ भारत छोड़िस उते हम सहीला।

नाना-नानी, आजा-आजी, रहिला कलकतिया
मन में अमर गूँजे जनली जबका बतिया
बीत गइल रात बहनी भइल अब दिनवा
लागी हम अँजोर में पर आजी अँधियरवा
दिन में हम काम करी रात के देखली सपना
औरतिया मोर आजी लागे हम लगी आजवा
काहे हम सरनाम छोड़ली अब तो हम समझीला
काहे रुक गइली उ लोग अब हम समझीला
काहे हम रुक गइली बइठाके तोके सुनाई कइसे
अपने सुन के लज्जा लागे चिता कौन जराई ओके
माई बाप भाई बहिन से तोड़के नाता बस गईलेन
ना गर आँसू से कलप ना गुनाहू से
कहा है उ जोश जउन के याद हमें जियाइल है
जउन जवानी में जोश ना है बुढ़ापा में भी उके होश ना है।