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नारी-1 / बिंदु कुमारी
Kavita Kosh से
परम्परा रोॅ बंधन आरो
समाजिक ताना-बाना मेॅ
उलझलोॅ छै नारी।
पुरूष व्यवस्था रोॅ सांचा मेॅ
ढली रहलोॅ छै नारी।
गर्भ मेॅ कन्या-शिशु रहला पर
बेहिचक कराय छै गर्भपात।
नै छै स्वीकार आबेॅ फिरू
दोसरोॅ बेटी, जिहोॅ रोॅ जंजाल,
पूरा परिवार बेटा रोॅ साथ
हाथी, घोड़ा, मोटर गाड़ी सवार।