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नासूर / ढोलण राही

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नंढे हून्दे
मस्तक ते हिक फुरिड़ी निकितमि
इलाजु थियो
परसही न थियो, जो
कुझु अरसे खां पोइ
वरी सा फुरिड़ी उथिली
वेॼनि वस हलाया
आखि़र फुरिड़ी फाटी
धीरे धीरे घावु मिड़ियो, पर
निशानु उन जो मिटिजी न सघियो
कुझु सालनि खां पोइ वरी
सा फुरिड़ी उथिली फटु बणी पेई
केॾा कयमि इलाज
मगर थियो कोन फ़ाइदो,
आखि़र फटु नासूर बणी पियो
बिलकुल इअं, जिअं
भारत लइ कशमीर बणी पियो!