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निछलोॅ बात / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
उत्तर में उतराहा सब
दक्खिन में दखनाहा सब।
सूरज उगतै पूरब दिस
कत्तो तोहें करबे इस।
डुबतै तेॅ बस पच्छिम दिस
कत्तो तोहें करबे इस।