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नित्य दयामय, मंगलमय प्रभु में / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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(राग तोड़ी-तीन ताल)

 
नित्य दयामय, मंगलमय प्रभु में रखो अविचल विश्वास।
भजो नित्य प्रभुको, तज जगके प्राणि-पदार्थोंकी सब आश॥
अष्टग्रही आदिसे डरकर कभी न हो‌ओ तनिक निराश।
प्रभु-‌इच्छासे होने दो अघ-‌असुरभावका सहज विनाश॥
मनमें सदा रखो आदरसे पावन प्रभु-पद-कमल ललाम।
प्रभुकी परम कृपा से होगा सब मंगल, यथार्थ अभिराम॥
सबमें सदा देखकर प्रभुको, कर्म करो सबके हित-काम।
तुम्हें नित्य अपनाकर, सदा सुरक्षित रखेंगे श्रीराम॥