भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

निरंतर जलने वाला दिया / इवान बूनिन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: इवान बूनिन  » संग्रह: चमकदार आसमानी आभा
»  निरंतर जलने वाला दिया

चुप है वह क्लांत
रहती है शांत
उसके पास ख़ुशी कभी नहीं लौटेगी अब
दफ़ना दिया गया उसे
वर्षा से गीली धरती में
विदा दी ख़ुशी को उसने, वह हो गई अलग

चुप है वह, खोई-खोई है
आत्मा खाली है और खाली है हिया
जैसे किसी समाधि पर बना है गिरजा
और गिरजे में गूँगी क़ब्र पर रात-दिन
निरन्तर जलता हो दिया

(1903-1905)

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय