भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
निरमोहिया लाल बड़ी दरदे उठी / मगही
Kavita Kosh से
मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
निरमोहिया लाल बड़ी दरदे उठी।
सँवरिया लाल बड़ी दरदे उठी॥1॥
मेरे पेटारे में कपड़ा बहुत सइयाँ।
माय बहन को बोला सइयाँ।
निरमोहिया लाल बड़ी दरदे उठी॥2॥
मेरे पेटारे में गहने बहुत सइयाँ।
माय बहन को बोला सइयाँ।
माय बहन को पेन्हा<ref>पहना दो</ref> सइयाँ।
निरमोहिया लाल बड़ी दरदे उठी॥3॥
मेरे पेटारे में मेवा बहुत खइयाँ।
माय बहन को खिला सइयाँ।
माय बहन को बोला सइयाँ।
निरमोहिया लाल बड़े दरदे उठी॥4॥
शब्दार्थ
<references/>