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नील कंठ / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
सुन्दर हो तुम नील कंठ जी
सबके प्यारे नील कंठ जी
अगर दशहरे के दिन आओ
शुभ दर्शन हो नील कंठ जी
फीरोजी और नीले रंग के
बादामी रोयें पंखों में
नीली कंठी पहने रहते
इसीलिए हो नीलकण्ठ जी
सुन्दर पक्षी चित्रकार ने
किस कूँची से तुम्हें रंगा था
सारी चिड़ियों से सुन्दर हो
सुन्दरतम हो नील कंठ जी