नेता / अनिल शंकर झा
बगबग धोती-कुरता, मुँह पर हँसी, पान के लाली छै,
शरणागत के अभय, विपक्षी ल ठोरोॅ पर गाली छै,
सब बातोॅ क जानै मानै, धरम-करम रखवाली छै,
चित भी हिनकोॅ पट भी हिनकोॅ एक सूत्र बलशाली छै,
सब जुग में जे सब पर भारी, नेता के बलिहारी छै,
सब टा चेहरा दागी दै में हिनकोॅ टा हुशियारी छै।
कोन देश में, कोन भेस में, हिनका जाना मुश्किल छै?
कोन समय में काम बनाना हिनका लेली मुश्किल छै?
केकरा आगू शेर बनी क गर्जन तर्जन करना छै?
केकरा पीछू पूंछ डुलाना केकरोॅ तर्पन करना छै?
कोन टोल में लड्डू बँटतै कोन टोल लठियारी छै?
सब टा खाका हिनकै लग छै हिनके त बुधियारी छै?
सब युग में जे सब पर भारी नेता के बलिहारी छै।
हिनका घर में लक्ष्मी जी के बास निरंतर जारी छै,
आरो दुःखी दरिद्दर लेली हिनका चिन्ता भारी छै,
चोर-उचक्का हिनको चेला सेबै के लाचारी छै,
संत समागम दिनचर्या छै, यै में सुन्दर नारी छै,
यै हाथोॅ में जहर त वै में सर्वोषधि भी भारी छै,
सब युग में जे सब पर भारी नेता के बलिहारी छै।
हिनकोॅ पाचन-शक्ति अद्भुत, हिनये सही वकोदर छै,
तोॅर माल के सच्चा प्रेमी मीन माँस मद भी गर छै,
भोज-भात में सबसें आगू चाहे कोनो अवसर छै,
शादी बीहा जोॅर जनौवोॅ या किरिया के अवसर छै,
घास-फूस के बाते की छै च्यवनप्रास कोलतारी छै,
सब युग में जे सब पर भारी नेता के बलिहारी छै।
हिनकोॅ बास सभा में जादें, भीड़-भाड़ आ मेला छै,
सत्ता के पाया में सटलो बस उड़ीस के रेला छै,
झगड़ा-झंझट मोॅर मुकदमा या चुनाव के बेला छै,
गारी के अंधड में टिकलोॅ पट्टा एक अकेला छै,
पोॅर पैरवी लेली नेता हरदमे अजबारी छै,
सब युग में जे सब पर भारी नेता के बलिहारी छै।
भासन निकलै वहिना जहिना नदिया उमड़ै सावन के,
टोकबैया पर वहिना झपटै जेना दल-बल रावन के,
सौ योजन तै हिनका झलकै जो शिकार मन भावन के,
हँसी रूदन में दिल के मंदिर खुललोॅ सबलेॅ पाहुन के,
सब टानेता आगू बढ़लै अबकी किनकॉे बारी छै?
सब युग में जे सब पर भारी नेता के बलिहारी छै।