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पंचबाण / अंकावली / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
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नीलोत्पल अरविन्द अशोक चूत नवमल्ली
पंच बाण कामक सुविदित पुर-कानन-पल्ली
सम्मोहन उन्मादन शोषण तापन स्तंभन
पंच वाण पौराणिक काव्य - जगत अनुरंजन
किन्तु वास्तविक जागतिक विषय इन्द्रियक सुख सुगम
रूप रम्य, मधु धुनि, मधुर रस, मृदु परस, सुगन्ध सुम